Programming language
नमो नमः मित्रों, आज हम पढेंगे और जानेंगे Programming Language के बारे में, तो आइए शुरू करते है आज का विषय।
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program क्या है और programming की आवश्यकता क्यों है?
जैसा की हम जानते है कंप्यूटर एक मशीन है। उसे मनुष्यों की भाषा नही आती है और न ही वो खुद से कुछ काम करती है। हमे जब भी कंप्यूटर से काम करवाने होते है तो हमे कंप्यूटर को निर्देश देना पड़ता है की क्या करना है, कब करना है और कैसे करना है। इसी वजह से हमे प्रोग्रेमिंग आवश्यकता होती है, जिससे की हमे कंप्यूटर को बार बार नही बताना पड़े की उसे कैसे काम करना है।
"निर्देशों के समुह जिससे की हम कंप्यूटर को किसी खास काम को करने के लिए देते है उसे program कहते है।"
हम ऐसे भी कह सकते है की "क्रम से दिये गये सही निर्देशों के समुह को program कहते है।"
Programming Language क्या है ?
Programming Language एक भाषा है जो प्रोग्रामर या डेवलपर के द्वारा computer को बताया जाता है कि उसे क्या काम करना है। यह एक खास काम को करने के लिए कुछ instructions को किसी खास भाषा (जैसे C++, Java, cobol, Python) में लिखा जाता है, जिसे कंप्युटर समझ आता है कि उसे क्या करना है ?
Computer को केबल binary Language (0 और 1) ही समझ आता है । जहाँ 0 का मतलब off या बंद है और 1 का मतलब on या चालू है।
Programming Language को दो भागों में बांटा गया है
1. Low Level Programming Language
2. High Level Programming Language
Low Level Programming Language क्या है ?
यह कंप्यूटर को समझ आने वाली भाषा है जिसमे लिखे गए सारे प्रोग्राम या इंस्ट्रक्शन कंप्यूटर डायरेक्ट एक्जीक्यूट करता है यानी समझ पाता है। इस भाषा में लिखे गए इंस्ट्रक्शन को समझने के लिए कंप्यूटर को कोई इंटरप्रेटर या कंपाइलर की जरूरत नहीं है।
Low Level Programming Language को भी दो भागों में बाटा गया है
1. मशीन भाषा (Machine Language)
2. असेंबली भाषा ( Assembly Language)
Machine Language क्या है ?
इस भाषा में लिखे प्रोग्राम या कोड 0 और 1 में लिखे जाते है, जिसे सारे प्रोग्राम या कोड या इंस्ट्रक्शन को कंप्यूटर सीधे एक्जीक्यूट करता है। इस भाषा में प्रोग्राम या कोड या इंस्ट्रक्शन को 0 और 1 यानी बाइनरी में लिखा जाता है इसलिए इसे बाइनरी लैंग्वेज भी कहते है।
हर अक्षर Alphabet या अंक के लिए अलग अलग बाइनरी कोड लिखे होते है। जैसे अगर हम 75 नंबर को लिखे तो इसका बाइनरी लैंग्वेज होगा 1001011.
Assembly Language क्या है ?
बाइनरी लैंग्वेज को थोड़ा इंप्रूव करके जो भाषा बनाया गया, उसे Assembly Language नाम दिया गया। Assembly Language को इस प्रकार बनाया गया कि प्रोग्राम या डेवलपर आसानी से समझ सके। असेंबली लैंग्वेज में बाइनरी कोड के बदले में कुछ छोटे शब्दों (जैसे ADD, Print, SUB, MOV etc) का प्रयोग किया गया, जिसे निमोनिक (Mnemonics) कोड कहा जाता है।
असेंबली लैंग्वेज में 0 और 1 के बदले अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग होने लगा जिससे असेंबली लैंग्वेज को समझने में आसानी होने लगी हालांकि असेंबली लैंग्वेज में लिखे कोड या प्रोग्राम या इंस्ट्रक्शन को असेंबलर का उपयोग करके मशीन लैंग्वेज में बदला जाता है, जिसे फिर कंप्यूटर समझ पाता है।
High Level Programming Language क्या है ?
Low level language में कोड या प्रोग्राम या इंस्ट्रक्शन लिखने तथा समझने में प्रोग्रामर या डेवलपर को समस्या आती है क्योंकि कंप्यूटर को बाइनरी लैंग्वेज (0 और 1) ही समझ आता है। इस समस्या का हल करने के लिए या यू कहे कि प्रोग्रामर या डेवलपर को समझ आने वाली एक भाषा को उपयोग में लाया गया जिसे High Level Programming Language कहा गया।
High level programming language में सारे कोड या प्रोग्राम या इंस्ट्रक्शन इंग्लिश में लिखे जाते है जिसको compiler या Intepreter के द्वारा मशीन लैंग्वेज में बदला जाता है जिसे computer समझ पाता है। ये compiler या intepreter अलग अलग high level language के लिए अलग अलग होते है।
Low Level Programming Language और High Level Programming Language में अन्तर
1. Low Level Language एक मशीन फ्रेंडली लैंग्वेज है, High Level Language एक यूजर फ्रेंडली लैंग्वेज है।
2. Low Level Language को समझना यूजर के लिए कठिन है, High Level Language को समझना यूजर के लिए आसान है।
3. Low Level Language को कंपाइपर या असेंब्लर की जरूरत नहीं है, High Level Language को कंपाइलर या असेंब्लर की जरूरत होती है।
4. Low Level Language एक प्रोटेबल लैंग्वेज नही है, High Level Language एक प्रोटेबल लैंग्वेज है।
5. Low Level Language अब बहुत कम काम आने वाला प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है, High Level Language बहुत ज्यादा उपयोग में आने वाला प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है।
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